शमा जसन का होता है, और हम तन्हाई में जीते है ,
शिकवा अपनों से होता है, और हम खुद से शिकायत करते है .
वादे बहुतो ने किये साथ निभाने का ,पर आज भी तन्हाई साथ निभाता है .
कुछ अपनों ने कहा आ जाओ साथ मेरे ,कब तक युही वक्त बिताओगे ...
पर ,अब तो आदत सी हो गई है ऐसे जीने की , थोडा सा दर्द होता है सिने में .
फिर भी बड़ा मजा आता है जीने में ,क्योकि ,अब तो आदत सी हो गई है इस दर्द में जीने की.