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Thursday, 8 September 2016

अब तो आदत सी हो गई है ऐसे जीने की

Golu Arjun
















शमा जसन का होता है, और हम तन्हाई में जीते है  ,

 शिकवा अपनों से होता है, और हम खुद से शिकायत करते  है .

वादे बहुतो ने किये साथ निभाने का ,पर आज भी  तन्हाई साथ निभाता है .

कुछ अपनों ने कहा आ जाओ साथ मेरे ,कब तक  युही वक्त बिताओगे ...

पर ,अब तो आदत सी  हो गई है ऐसे जीने की , थोडा सा   दर्द होता  है सिने में . 

फिर भी बड़ा मजा आता है जीने में ,क्योकि ,अब तो आदत सी  हो गई है इस दर्द में जीने की.
Published: By: Unknown - 00:16

सुख गया गुलाब पर महकता है, अब भी कभी-कभी ।






















सुख गया गुलाब पर महकता है, अब भी कभी-कभीकिताबो के बिच दब गया है,पर दीखता है अब भी कभी-कभीबीत गया जूनून पर जोस आता है, अब भी कभी-कभी वो याद करते नही पर सपनो में आते है, अब भी कभी-कभीदर्मिया फासला अब भी बहुत है, पर मिल जाते है राह में वो अब भी कभी-कभीसुख गया गुलाब पर महकता है, अब भी कभी-कभी ।
Published: By: Unknown - 00:07

माँ की यही कहानी थी।


कैसा था नन्हा बचपन वो माँ की गोद सुहाती थी , देख देख कर बच्चों को वो फूली नहीं समाती थी।

ज़रा सी ठोकर लग जाती तो माँ दौड़ी हुई आती थी , ज़ख्मों पर जब दवा लगाती आंसू अपने छुपाती थी।

जब भी कोई ज़िद करते तो प्यार से वो समझाती थी, जब जब बच्चे रूठे उससे माँ उन्हें मनाती थी।

खेल खेलते जब भी कोई वो भी बच्चा बन जाती थी, सवाल अगर कोई न आता टीचर बन के पढ़ाती थी।

सबसे आगे रहें हमेशा आस सदा ही लगाती थी , तारीफ़ अगर कोई भी करता गर्व से वो इतराती थी।

होते अगर ज़रा उदास हम दोस्त तुरन्त बन जाती थी , हँसते रोते बीता बचपन माँ ही तो बस साथी थी।

माँ के मन को समझ न पाये हम बच्चों की नादानी थी , जीती थी बच्चों की खातिर माँ की यही कहानी थी।
























Published: By: Unknown - 00:00

Saturday, 16 January 2016

तुझे देखु तो सारा जहाँ रंगीन नज़र आता है,
तेरे बिना दिल को चेन किसको आता है!
तुम ही हो मेरे दिल की धड़कन,
तेरा बिना यह संसार आवारा नज़र आता है!
Published: By: Unknown - 00:27

 

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